अडानी का साम्राज्य: क्रोनी कैपिटलिज्म और धारावी के भविष्य की दांव-पेंच
परंजॉय गुहा ठाकुरता और तीस्ता सीतलवाड़ ने अडानी समूह की बढ़ती ताकत और सरकारी जुड़ाव पर चर्चा की। अडानी की कंपनियां अब उद्योगों और सरकारी नीतियों पर प्रभाव डाल रही हैं, जिससे ओलिगार्की का खतरा महसूस हो रहा है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अन्य वित्तीय आरोपों ने अडानी के कारोबार की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। धारावी में गरीबों की मेहनत का शोषण कर, बड़े कॉर्पोरेट समूह देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। यह स्थिति लोकतंत्र और आम नागरिकों के लिए खतरनाक है।
तीस्ता सीतलवाड: नमस्कार, सलाम। हमारे सामने आज बहुत ही खास मेहमान हैं जो हमारे चैनल पर मौजूद हैं। वे हैं बहुत ही वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, जो एक लेखक भी हैं, एक राजनीतिक विश्लेषक भी हैं और फिल्म निर्माता भी हैं। एक बहुत ही मल्टी-लेयर्ड और मल्टी-टेक्सचर पर्सनालिटी। मैं मानती हूं कि पिछले 10-15 वर्षों में पत्रकारिता की बुलंद आवाज को ताजा बनाए रखने का काम परंजॉय ने किया है। परंजॉय, बहुत-बहुत स्वागत है।
परंजॉय गुहा ठाकुरता: जी, आपने इतनी तारीफ की, धन्यवाद।
तीस्ता सीतलवाड़: आज हमारी बातचीत दो किश्तों में होगी। पहली बातचीत हम विकास और धारावी मॉडल पर करेंगे, जो हमारे सामने आया है। हम मुंबई शहर, जो मेरा अपना शहर है, के बारे में बात करेंगे और यह मुंबई के लिए इसका क्या मायने है, इसके क्या प्रभाव हैं। क्योंकि इससे पहले भी कई चीजें हुई हैं, जैसे अडानी से जुड़ी हुई जो घटनाएं हुई हैं। गौतम अडानी, जो बहुत बड़े अरबपति हैं, उनका कनेक्शन हुकूमत से बहुत गहरा है। यह बात हम सब जानते हैं। हम पहले भी कुछ देख चुके हैं, जैसे आर्य का सेट, और अन्य घटनाएं भी देखी हैं। मुंबई शहरवासियों ने अडानी पावर के बिलों को बढ़ते हुए देखा है। लेकिन लगता है कि हमारे कस्टमर्स इन बढ़े हुए बिलों के बावजूद ज्यादा कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। हालांकि, हम आज धारावी के मुद्दे पर बात शुरू करते हैं।
परंजॉय गुहा ठाकुरता: पहला सवाल यह है कि मैंने इस विषय पर एक डॉक्युमेंट्री फिल्म बनाई है, जिसका नाम है “धारावी का दादा कौन?” और अगर आप चाहें तो आप इसे मेरे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। धारावी इतना महत्वपूर्ण क्यों है? मुंबई शहर में रियल एस्टेट, यानी जमीन और आवास, की कीमतें दुनिया में सबसे ऊंची हैं। आसान शब्दों में कहें तो एक अमेरिकी डॉलर की कीमत ₹84 है, लेकिन ₹84 में, आप भारत में, खासकर मुंबई या धारावी में, जो खरीद सकते हैं, वह वाशिंगटन या न्यू यॉर्क से चार गुना महंगा होता है। इसका मतलब है कि भारत में एक डॉलर की पर्चेजिंग पावर 25% है, जबकि अमेरिका में पूरी है। मुंबई में रियल एस्टेट की कीमतें विश्व में सबसे ज्यादा हैं। न्यू यॉर्क, टोक्यो, साओ पाओलो, मनीला, इन जगहों पर रियल एस्टेट इतनी महंगी नहीं है। यह पहला बिंदु है।
दूसरा बिंदु यह है कि धारावी की एक विशेषता है। धारावी में जमीन का क्षेत्रफल केवल ढाई वर्ग किलोमीटर है, और यहां पर करीब 10,00,000 लोग रहते हैं। इतना घनी जनसंख्या वाला क्षेत्र कहीं और नहीं मिलेगा।
तीस्ता सीतलवाड: यहां लोग रहते भी हैं और व्यापार भी करते हैं।
परंजॉय गुहा ठाकुरता: बिल्कुल। यही इसकी विशेषता है। यहां लोग सिर्फ रहते नहीं, बल्कि 10,000 से ज्यादा छोटे-छोटे उद्योग हैं। इसे हम और विस्तार से समझेंगे। लेकिन, मेरा कहना है कि इतनी घनी जनसंख्या वाला स्थान कहीं और नहीं मिलेगा। धारावी का पुनर्विकास दशकों से चल रहा है।
तीस्ता सीतलवाड़: और मैं दर्शकों को एक जानकारी दे दूं। क्योंकि मैंने आपका इंटरव्यू करने से पहले रिसर्च किया था, तो मैंने आपके वेबसाइट paranjoy.in पर अमिता बिदे का बहुत अच्छा इंटरव्यू देखा, जिसमें उन्होंने बहुत अच्छे से समझाया कि 1986 में पहले प्रयास किए गए थे, फिर 1999 में भी प्रयास किया गया और 2008 में भी, लेकिन ये सभी प्रयास आज भी वहीं के वहीं हैं।
परंजॉय गुहा ठाकुरता: बिल्कुल सही कहा आपने। दशकों से यह चर्चा चल रही है कि धारावी का पुनर्विकास होना चाहिए, लेकिन यह सब प्रयास आज भी स्थिर हैं। हालांकि, विकास हुआ है, जैसे बारिश के समय धारावी में पानी नहीं जमा होता, बिजली की समस्या हल हुई है, लेकिन और भी सुधार की बहुत बड़ी संभावना है। लेकिन जिस तरह से यह काम हो रहा है, मुझे लगता है कि यह जनहित में नहीं है। सरकार का कहना है कि 10,00,000 लोगों में से 1,00,000 लोग प्रवासी श्रमिक हैं, जो आते-जाते रहते हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि आधे लोग अवैध रूप से रह रहे हैं।
तीस्ता सीतलवाड़: अवैध और पात्र।
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “अब्सोल्यूटली पात्र और अपात्र में बड़ा विवाद हो गया। आप क्या करेंगे? इतने लोगों को लेकर आप इसके लिए अडानी के लिए अच्छा, अडानी के बारे में हम आ रहे हैं, मगर उससे पहले मैं दो-तीन बातें बताना चाहता हूँ। अब बहुत बारीकी से इस सूचना को सोचना पड़ेगा। कुछ दिन पहले, 31 अक्टूबर को ‘दी मॉर्निंग कॉन्टेक्स्ट’ नामक एक वेबसाइट पर सुरिंदर जी, डी सुरिंदर जी ने साफ लिखा कि किस तरह से महाराष्ट्र सरकार ने एक टेंडर फ्लोट किया था, धारावी रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के लिए। उनका कहना था कि इसमें कुछ कानूनी खामियाँ हैं, क्योंकि एक मीटिंग हुई थी ‘कमिटी ऑफ सेक्रेटरी’ की, लेकिन एक-दो अलग-अलग डॉक्यूमेंट्स में दस्तखत नहीं थे और तारीख भी नहीं थी। ये कैसे हो सकता है? क्या हुआ? उस समय महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी डी के जैन साहब थे, जिन्होंने इस पर चर्चा नहीं की। वित्त सचिव यूपीएस मदान जी ने दस्तखत किए, फिर मदान जी ने आगे जाकर इसे जारी किया। लेकिन यह सब आगे बढ़ गया। क्या? देवेंद्र फडणवीस जी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में यूएई (संयुक्त अरब अमीरात), दुबई गए थे। वहाँ उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि आप यहाँ विकास करें। फिर एक यूएई की कंपनी, ‘लिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन’ ने बीट किया और एल वैन में वो पहुँच गए थे। इसके साथ और भी कंपनियाँ थीं। उसी दिन क्या हुआ? उस समय के आईएएस अधिकारी एस वी आर श्रीनिवास, जो धारावी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के सीईओ थे, फाइल लेकर फडणवीस जी के पास पहुँचे, मगर अचानक सब कुछ बदल गया। कहा गया, नहीं, रेलवे की कुछ जमीन है, और न्याय करते हुए बिड करनी होगी। 45 एकड़ की रेलवे की बिड थी। और फिर यह फरवरी 2019 की बात है। अभी यह मामला चल रहा है। केस की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट में खत्म हो चुकी है, और फाइनल जजमेंट आने वाला है। अक्टूबर 2022 में नया टेंडर इश्यू हुआ और नई मीटिंग शुरू हुई, जहाँ अडानी जी जीत गए। अडानी जी पहले नंबर पर नहीं थे, लेकिन नंबर दो से नंबर एक पर आ गए। एक तरह से मैं कह रहा हूँ, मैं अकेला नहीं कह रहा हूँ। वर्षा गायकवाड़, जो वहाँ की विधायक हैं और लंबे समय तक लोकसभा सांसद भी रही हैं, उन्होंने साफ कहा कि यह मैच फिक्सिंग है। और यह वर्षा गायकवाड़ जी अकेली नहीं हैं, राहुल गांधी, राजू कोटे, और कई अन्य कार्यकर्ता और सामाजिक नेता भी यही बोलते हैं कि आपने मैच फिक्स कर दिया, अडानी जी से बात की और उनके लिए काम किया। यह कैसे हो सकता है कि जो व्यक्ति 30 साल पहले मुंबई के झवेरी बाजार में हीरे का कारोबार करता था, वह 25 साल बाद दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गया? भारत के सबसे अमीर व्यक्ति में कैसे आ गया? यह एक लंबी कहानी है, और अगर आप देखेंगे कि कैसे नरेंद्र मोदी जी, गुजरात के मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री बने, और अडानी जी किस तरह से बने, तो यह साफ हो जाएगा। मैंने यह नहीं कहा।”
तीस्ता सीतलवाड़: “आपने अभी कहा कि वर्षा गायकवाड़ ने इस मुद्दे को लगातार उठाया है, राहुल गांधी जी ने इसे उठाया है, राजू कोटे जी, जो वहाँ के स्थानीय कार्यकर्ता हैं, उन्होंने भी इसे उठाया है। मैं तो कहूँगी कि आदित्य ठाकरे और उद्धव ठाकरे जी ने भी इस मुद्दे को हार में भी उठाया है। अभी परसों की मीटिंग में, जहाँ उद्धव जी ने पूरे 900 एकड़ रेलवे लैंड वगैरह की बात की, उन्होंने यह बताया कि आपको धारावी के लिए कितनी जमीन दी जा रही है? फ्री में मतलब, धारावी के रीडेवलेपमेंट के लिए आप अडानी को सॉल्ट लैंड, रेलवे लैंड सब कुछ दे रहे हैं।”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “अब आप बेवनार में, जहाँ कचरा पड़ा रहता है, वहाँ जमीन दे रहे हैं, आप मुलुंड में जमीन दे रहे हैं क्या? मुंबई का रियल एस्टेट क्लीनिंग एकदम सरकार का नहीं है और सरकार जाने के बाद मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट आने से पहले, आप गवर्नमेंट रिजोल्यूशन एक के बाद एक इश्यू कर रहे हैं, यह देखिए, सबको मालूम है। जैसे लोग कहते हैं कि सिर्फ कांग्रेस वालों ने, मैं भी कहता हूँ, यह अडानी नहीं है, यह मोदानी है। मैं आपको बता दूँ कि मेरे खिलाफ अडानी जी का वकील छः मानहानि का केस इस वक्त चल रहा है।”
तीस्ता सीतलवाड़: “धारावी का इस तरह का जो डेवलपमेंट है, उसका मतलब क्या होगा?”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “इसका मतलब है कि अगर सरकार बदल जाती है तो आदित्य ठाकरे जी, उद्धव ठाकरे जी, राहुल गांधी जी, जो वे सब कहते हैं, क्या यह दोबारा शुरू हो जाएगा?”
तीस्ता सीतलवाड़: “दुबारा यह टेंडर होगा, दुबारा इन्विटेशन ऑफ़ टेंडर होगा। तो प्रोसीजर किस तरह से होना चाहिए और यह 10,00,000 लोग, जिनमें प्रवासी कामगार भी हैं, और जो एलिजिबल और नॉन-एलिजिबल का फर्क सरकार ने बनाया है, उसे किस तरह से टैकल करना चाहिए?”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “देखिए, भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है, तीस्ता जी। हमें 23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे क्या होंगे, यह उसी दिन पता चलेगा। 23 नवंबर के बाद हमें यह भी मालूम पड़ेगा कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा। सिर्फ इतना मैं कहना चाहता हूँ कि उद्धव ठाकरे जी ने कहा था कि अगर हमारी सरकार आती है, महा विकास आघाड़ी की सरकार आती है, तो यह जो टेंडर है, यह जो ठेका है, यह जो एग्रीमेंट है, हम इसे कैंसिल करके नया करेंगे। उन्होंने यह कहा, मैंने नहीं कहा। और राहुल गांधी जी ने भी इसी तरह की बात मुंबई में की थी। तो क्या होगा, यह समय बताएगा, लेकिन जो कहानियाँ हैं, वे खत्म नहीं हो रही हैं।”
“मुंबई में एक है एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स), दूसरी है टीडीआर (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स)। एक जगह, अगर आप कुछ अधिकार लेते हैं, तो कुछ कागज मिलते हैं। टीडीआर बहुत महंगा होता है। आपको इसे खरीदकर कहीं और मकान बना सकते हैं। तो यह जो टीडीआर है, सरकार ने नियम बना दिया कि यह धारावी रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट का टीडीआर, इसका एक बड़ा हिस्सा हर रियल एस्टेट डेवलपर को मिलेगा। आप गोदरेज कहिए, टाटा कहिए, हीरानंदानी कहिए, कनाकिया कहिए, रहेजा कहिए, लोधा कहिए, या रोसलम जी कहिए, कोई भी मकान बनाएगा मुंबई और बृहन्मुंबई में, तो आपको यहीं से टीडीआर खरीदना पड़ेगा। यह एक लेवल प्लेइंग फील्ड है। यह सचमुच एक कम्पटीशन है। क्या यह एक तरह से सबके लिए समान कम्पटीशन है, या फिर यह एक तरह का क्रोनी कैपिटलिज़म है?”
तीस्ता सीतलवाड़: “मतलब, यहाँ का पूरा हाथ उन्होंने अडानी को दे दिया।”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “देखिए, डीआरपी (धारावी रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट) प्राइवेट लिमिटेड का 80 प्रतिशत हिस्सा अडानी जी का है। और बाकी 20 प्रतिशत हिस्सा महाराष्ट्र सरकार के पास है, जो महाराष्ट्र हाउज़िंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) के नियंत्रण में है। लेकिन इस कंपनी का नियंत्रण और लाभ अडानी जी को ही मिलेगा। बहुत से लोग कह रहे हैं कि यह काम पूरी तरह से एक मनमानी तरीके से किया गया है। अगर आप मुंबई में कहीं भी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट बना रहे हैं, तो क्यों आपको अपने टीडीआर का 40% हिस्सा सिर्फ इस प्रोजेक्ट से लेना पड़ता है? यह मेरे हिसाब से नियमों में बहुत खामियाँ हैं, और यह मामला अभी भी चल रहा है।”
“दूसरी बात, मामला खत्म नहीं हुआ है। मैंने अभी जो कहा, मुंबई हाई कोर्ट की सुनवाई खत्म हो चुकी है। अगस्त के दूसरे हफ्ते में यह खत्म हुआ, लेकिन जजमेंट कब आएगा, यह अलग बात है। लेकिन जो ठेके एक ही ग्रुप को दिए गए हैं, यह सचमुच मेरे लिए समझ में नहीं आता। यह न तो सही है, न ही यह उचित है। भविष्य में क्या होगा, कौन मुख्यमंत्री बनेगा, यह समय बताएगा। मगर आज मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि जिस रफ्तार से अडानी जी का साम्राज्य और उनका व्यवसाय बढ़ा है, वह नरेंद्र मोदी जी के समय में साफ दिखता है। वह दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बने, यह उस समय का सच है।”
तीस्ता सीतलवाड़: “इस तरह की बिज़नेस प्रैक्टिस, इस तरह का क्रोनी कैपिटलिज़म, जो कि अंबानी और अडानी द्वारा प्रतीकृत है, जो सत्ता के गलियारों के बहुत करीब हैं, इसका मतलब क्या है? यह व्यापारिक प्रैक्टिस और डेवलपर्स के लिए क्या मायने रखता है?”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “आप जानते हैं, तीस्ता, दुनियाभर में और भारत में भी हमेशा बिज़नेस और राजनीतिक ताकत के बीच एक लिंक रहा है, और आज भी है। लोग कहते हैं कि एलोन मस्क ने डोनाल्ड ट्रम्प को जिंदा किया। फर्क क्या है? ठीक है, महात्मा गांधी भी घनश्याम दास बिरला के घर में रहे थे। आप उनका लेख पढ़िए, जिसमें उन्होंने लिखा था कि 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या क्यों की गई थी। गांधी जी ने उस समय बहुत कुछ लिखा था क्योंकि वह एक बड़े उद्योगपति, एक बड़े पूंजीपति से मदद ले रहे थे, क्योंकि उनका एक और लक्ष्य था – ब्रिटिश उपनिवेशी शासन को खत्म करना। इसके बाद आप टाटा ग्रुप, बिरला ग्रुप, और अंबानी ग्रुप को देखिए। उन्होंने सपनों को पूरा करने के लिए सरकार से नियम, नीति, और अधिनियम बनाए। यही सब अडानी के केस में भी हो रहा है। फर्क क्या है, जो यह क्रोनी कैपिटलिज्म है? मोदी जी और अडानी जी में फर्क नजर नहीं आता। मोदी जी देश-विदेश घूमते हैं, और हर जगह अडानी जी उनके साथ होते हैं, लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। एक पूंजीपति को ठेका मिला है ऑस्ट्रेलिया, इजराइल, तंजानिया, केन्या, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, और मैं और देशों का नाम ले सकता हूँ।”
“जब हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई, उस वक्त भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और अडानी जी के प्रवक्ता का यही कहना था कि यह हमला मेरे ऊपर नहीं है, बल्कि यह भारत के ऊपर है। और उन्होंने जवाब दिया था, पीछे भारत का तिरंगा था। आज मैं यह कह रहा हूँ कि आज भारत का संबंध बांग्लादेश, श्रीलंका, और केन्या के साथ क्यों खराब हो गया? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि मोदी जी ने एक पूंजीपति के व्यावसायिक हित को बढ़ावा देने के लिए, एक मार्केटिंग मैनेजर और पब्लिक रिलेशन ऑफिसर के तौर पर काम किया, और यह भारत के हित में नहीं था। आज, यूनेस्को सरकार और अडानी पार्क के बीच विवाद चल रहा है, गोड्डा में कौन कितना पैसा देगा, श्रीलंका में अडानी का प्रोजेक्ट कैंसिल किया जा चुका है, केन्या में वही हाल है, लोग परेशान हैं।”
तीस्ता सीतलवाड़: “केन्या में तो एक बड़ा पब्लिक स्कैंडल हुआ था।”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “और भी देखिए, इज़राइल में अडानी जी का सबसे दूसरा नंबर जो समुद्र के बंदरगाह हाइफा का पोर्ट चला रहे हैं, लेकिन उनका जो ड्रोन, यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स (UAVs), जो उनके बंदूकें हैं, वे भारत में अडानी द्वारा असेंबल किए जा रहे हैं। और इन्हें गाजा, लेबनान, और फिलिस्तीन में लोगों को मारने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ये तथ्य हैं, जिन्हें आप नकार नहीं सकते। जब किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत और औद्योगिक हित उस देश के राजनीतिक नेतृत्व के साथ इस तरह जुड़े होते हैं, तो हम क्रोनी कैपिटलिज़्म से कहीं आगे बढ़कर ओलिगार्की (सत्ता के एक छोटे समूह का नियंत्रण) में पहुंच जाते हैं, यही मेरा निष्कर्ष है।”
तीस्ता सीतलवाड़: “आपने हिंडनबर्ग रिपोर्ट का जिक्र किया, मैं भी आपसे वही सवाल पूछने वाली थी। वह एक बहुत ठोस रिसर्च थी, जो 2023 में सामने आई थी। मुझे याद है, यह जनवरी में थी, और उसके बाद इसका बड़ा प्रभाव भी पड़ा। भारत में और खासकर हिंदुस्तान में इस रिपोर्ट का काफी असर हुआ, और इसे कंट्रोल करने के लिए कई वित्तीय कदम उठाए गए। आप जानते हैं, हम जानते हैं कि आज वह स्थिति क्या है, उस रिपोर्ट और उसकी फाइंडिंग्स को लेकर। और हां, भारतीय स्टॉक मार्केट और सेबी में चल रहे मामले की भी बात हो रही है।”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “आज हिंडनबर्ग की दूसरी रिपोर्ट आई है। यह सीधे सेबी के चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के ऊपर उंगली उठाती है। उन्होंने साफ कहा है कि यह महिला, जो सेबी की चेयरपर्सन हैं, जिनका काम है वित्तीय बाजारों पर नियंत्रण रखना, कैसे खुद संकुचित हुईं? उनके पति ने किस तरह से कंपनियों में निवेश किया? किस तरह से रियल एस्टेट में पैसा डाला? एक कंपनी में विदेश में, जहां हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे का भी कुछ संबंध है, और कैसे आईसीआईसीआई बैंक ने उन्हें करोड़ों रुपए दिए, यह सब आज सार्वजनिक है। पवन खेरा और प्रवीण चक्रवर्ती जैसे कांग्रेस प्रवक्ता ने 5-6 प्रेस कांफ्रेंस की हैं, और उन्होंने कहा कि माधवी पुरी जी ने संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी से मिलने से भी इंकार कर दिया। वह पहले कहते हैं कि आज नहीं आ पाएंगे, व्यक्तिगत कारणों से, फिर कहते हैं कि अगली मीटिंग कब होगी, यह देखने की बात है।”
“एक पुरानी कहावत है, ‘राजा का दिल और दिमाग तोता में रहता है’, तो आप समझ सकते हैं कि कौन राजा है और कौन तोता है, यानी नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी, और माधवी पुरी बुच। आप खुद समझ सकते हैं, मैं जो कहना चाहता हूं, वह आप भी समझ रहे हैं।”
तीस्ता सीतलवाड़: “वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट की क्या स्थिति है, लोग कब उसे देखेंगे, क्या देखेंगे? क्या आप समझते हैं कि उन्होंने इसे कैसे कंट्रोल किया? अब हमें रिपोर्ट मिल रही है कि वित्तीय संस्थान स्टॉक मार्केट से पैसे निकाल रहे हैं हर दिन।”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “तीस्ता, आपने सही कहा। क्या होगा, यह कहना मुश्किल है। सरकार क्या करेगी, यह भी कहना मुश्किल है। सचमुच, माधवी पुरी बुच और जिन्होंने भी निवेश किया और जहां भी निवेश किया, जैसे कंपनियों में, रियल एस्टेट में, सब कुछ पारदर्शिता से दिया। लेकिन किसको बताया? वित्त मंत्रालय को बताया, सेबी के बोर्ड को बताया। हमारे माननीय प्रधानमंत्री और गृह मंत्री, जो कैबिनेट कमिटी ऑन अपॉइंटमेंट्स कमिटी के सदस्य थे, उन्हें कब जानकारी मिली, यह कोई नहीं जानता। एक व्यक्ति इसे कर सकता है, या फिर यह पूरी प्रणाली, हमारे वित्तीय बाजारों और हमारे पूरे वित्तीय सिस्टम की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। और इसलिए अडानी का मामला इतना महत्वपूर्ण है। जिस रफ्तार से अडानी ग्रुप के स्टॉक्स की कीमत बढ़ी, इसका एक कारण है। आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डीआरआई (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) दोबारा जांच शुरू करेगा अडानी ग्रुप के बारे में, विशेषकर विदेशों में। गौतम अडानी का भाई और उनके करीबियों का नाम, जिनका ताइवान और यूएई में संबंध है, और फिर विनोद अडानी, जो साइप्रस के नागरिक हैं। पैसे का प्रवाह कैसे हुआ, काला धन सफेद हो गया, यह सब एक किताब का विषय हो सकता है। यह कहानी बहुत लंबी है, लेकिन नुकसान किसका हुआ? वह है भारत के नागरिक, जो मुंबई के लोग हैं। उन्हें क्यों ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं?”
“वह बिजली जो हम खर्च करते हैं, वह कोयला जो आता है, उसे लेकर आरोप है कि इसे ओवरवैल्यू किया गया था। ₹10 का माल ₹20 में बेचा गया, तो वह पैसा कहां गया? नुकसान तो हम सभी जानते हैं, वह उस उपभोक्ता का हुआ, जो बिजली का इस्तेमाल करता है। यह सिर्फ अडानी का मामला नहीं है, यह केवल मोदी जी तक नहीं रुकता। यह आम नागरिकों को प्रभावित करता है, जो भारत में बिजली खर्च करते हैं।”
तीस्ता सीतलवाड़: “मुझे लगता है कि यह सब आपके लंबे संघर्ष और मेहनत का नतीजा है। आप जैसे पत्रकारों का एक बड़ा नेटवर्क है जो इन मुद्दों पर काम कर रहा है। सरकार ने जितनी भी बदनामी की कोशिश की, मुझे लगता है कि आज आम नागरिक को अडानी के नाम से यह जानकारी हो गई है कि वह एक बहुत बड़े कारोबारी हैं जो सत्ता के शीर्ष नेताओं के करीब हैं। अब यह जानकारी लोगों तक पहुंच गई है और शक की एक बूंद जो पहले नहीं थी, अब आम बातचीत का हिस्सा बन गई है।”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: ” वो दाग दाग लंगिया, वो शब-गज़िदा सहर,तेरा उफ़ुक़ है, तू महज अपना मुक़द्दर देख…
तीस्ता सीतलवाड़: “क्या राजनीति और समाज में इसके असर से कुछ फर्क आया है? आपको क्या लगता है, क्या कुछ बदलाव की उम्मीद है?”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “मैं चाहता हूं कि कुछ हो, लेकिन सचमुच यह कहना मुश्किल है। अडानी जी के कांग्रेस के कई नेताओं के साथ अच्छे संपर्क हैं।”
तीस्ता सीतलवाड़: “आप तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बात कर रहे हैं, जिन्होंने अडानी को 100 करोड़ का चेक दिया?”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “जी, देववंत रेड्डी, कमलनाथ जी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत जी, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल जी, और यहां तक कि केरल में भी कुछ लोग हैं जो अडानी के साथ जुड़े हैं। यह एक बड़ा नेटवर्क है, और यह स्थिति हर राज्य में फैलती जा रही है, जैसे बंगाल, तमिलनाडु, और अन्य। मेरी बात यह है कि जब एक व्यक्ति, एक पूंजीपति और प्रधानमंत्री का संपर्क इस तरह से जुड़ जाए, तो वह बहुत ताकतवर बन जाता है। अब देखिए, चुनाव प्रचार के दौरान मोदी जी ने क्या कहा था – ‘अंबानी, अडानी’ का जिक्र किया। एक सार्वजनिक मंच से उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी को टेम्पो में अडानी और अंबानी का पैसा भेजा जा रहा है। अगर मोदी जी को यह सब पता था, तो उन्होंने इसकी जांच क्यों नहीं कराई? उनके पास सीबीआई, ईडी, और आयकर विभाग है, फिर भी जांच नहीं हुई। लोग यह जानते हैं, इस पर कोई शक नहीं है।”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “आपने सही कहा, यह कोई छिपी बात नहीं है। लोगों ने सब कुछ सुना है, और मोदी जी ने जो कहा, उसका भी असर हुआ है। उन्होंने कहा था कि परमात्मा ने उन्हें भेजा है। लेकिन, अगर मोदी जी को पता है कि अंबानी और अडानी का पैसा राहुल गांधी के पास गया है, तो क्यों नहीं जांच की जाती? उनके पास सब कुछ है, सीबीआई, ईडी, और सभी संसाधन। यह राजनीति का हिस्सा बन चुका है, और लोगों को समझ आ चुका है। यह सब किसी न किसी तरीके से सरकार की योजनाओं में बुरी तरह घुल मिल गया है।”
तीस्ता सीतलवाड़: “यह एक पुरानी कहावत है, ‘आप कुछ लोगों को कुछ समय के लिए धोखा दे सकते हैं, लेकिन सभी को हमेशा के लिए नहीं।’ लोग समझ रहे हैं कि देश की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति अडानी और मोदी जी के कनेक्शन से प्रभावित हो रही है। जब सिर्फ एक व्यक्ति या एक व्यापारिक समूह की हिस्सेदारी बढ़ जाती है, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं है। जब एक कंपनी देश के प्रमुख हवाई अड्डों और बंदरगाहों को नियंत्रित करने लगे, तो यह एक समस्या बन जाती है। आप जानते हैं कि मुंबई हवाई अड्डा कैसे अडानी के पास आया?”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “जी हां, अब अडानी कोयला खनन, बिजली उत्पादन, और वितरण, गैस वितरण – सब कुछ कंट्रोल कर रहे हैं। यह एक बड़ा कारोबार बन चुका है।”
तीस्ता सीतलवाड़: “परसों मैं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इंटरव्यू देख रही थी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने बिजली का उत्पादन करके बांग्लादेश भेजने का काम किया था, और अब ये सारी बातें सुलझनी चाहिए।”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “झारखंड में इतना कोयला है, और फिर वह कोयला ऑस्ट्रेलिया से लगभग 9000 किलोमीटर का सफर तय करके ओडिशा के गोड्डा तक पहुंचता है। यह कितना बड़ा विवाद था, और आज भी वह मुद्दा चल रहा है। वह विवाद ठीक से हल नहीं हुआ। अब, एक दिलचस्प बात यह है कि आपने कभी सोचा है कि जब आप खाना खाते हैं, तो आप क्या इस्तेमाल करते हैं? अगर आप फॉर्च्यून तेल खाते हैं, तो वह भी अडानी जी का है। अगर आप सेब खाते हैं, तो वह भी अडानी जी के नियंत्रण में है। बहुत कम ही आप देखेंगे कि भारत में एक कॉर्पोरेट समूह के पास इतना विशाल प्रभाव और काबू है, जो बुनियादी ढांचे तक को नियंत्रित करता है। यह एक पूरी तरह से अलग स्थिति है।”
तीस्ता सीतलवाड़: “तो, आखिरकार आपका दिल और दिमाग क्या कहता है? धारावी का दादा कौन बनेगा? क्या यह धारावी के लोग होंगे?”
परंजॉय गुहा ठाकुरता: “मैं चाहता हूं कि धारावी के लोग ही इसका नेतृत्व करें। और इस तरह से, जो सरकार है, चाहे वो महायुति सरकार हो या कोई अन्य, सब मिलकर अगर विरोध करें, तो वह एक बहुत बड़ी शक्ति बन सकती है। मैं अभी भी आम आदमी की शक्ति में विश्वास करता हूं, खासकर गरीबों की शक्ति में। धारावी के लोग, चाहे वो तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश से आए हों, वे एक तरह से ‘मिनी इंडिया’ हैं। यहां सभी बहुत मेहनत करते हैं और गरीब होते हैं। मुंबई में उनका काम है – कहीं झाड़ू पोछा करते हैं, कहीं इडली डोसा बनाते हैं, कहीं प्लास्टिक रीसायकल करते हैं, तो कहीं ज़री का काम करते हैं। यह एक बहुत ही अनोखा स्थान है। यहां के लोग अपने जीवन और भविष्य पर नियंत्रण चाहते हैं। यही मेरी इच्छा है, और मुझे लगता है कि आप भी यही चाहते हैं। मुंबई, महाराष्ट्र और पूरे भारत के लोग भी यही चाहते हैं। इसी उम्मीद के साथ हम इस चर्चा को समाप्त करते हैं। धन्यवाद, बहुत धन्यवाद।”
इस बातचीत का वीडियो तीस्ता सीतलवाड़ के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है और नीचे देखा सकता है!