नरेंद्र मोदी की 2024 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से प्रत्यक्ष रूप से कमजोर जीत उनके समर्थकों में चिंता और विरोधियों में आश्चर्य का कारण बनी है। हालांकि, बहुत से वाराणसी निवासियों के लिए, परिणाम चौंकाने वाले नहीं है।
इस लेख में, जो 30 मई को प्रकाशित हुआ था, जून को वाराणसी में मतदान से दो दिन पहले ही मैंने कहा था, “इस बार मुकाबला थोड़ा करीबी हो सकता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं जो बीजेपी को चिंता में डाले।”
बड़ी जीतों का इतिहास
2014 के लोकसभा चुनावों में, नरेंद्र मोदी ने आप के अरविंद केजरीवाल को लगभग 3.7 लाख वोटों से हराया था। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, और बहुजन समाज पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। 2014 में आप, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को मिले वोटों की कुल संख्या लगभग 3.3 लाख थी। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को लगभग 60,000 वोट मिले थे। अगर विपक्ष ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा होता, तो 2014 में उत्तर प्रदेश में मोदी लहर के चरम पर, जब उन्होंने अकेले ही उत्तर प्रदेश में 71 सीटें जीती थीं, जीत का अंतर 2.5 लाख वोटों का होता।
“2019 के लोकसभा चुनावों में, नरेंद्र मोदी ने शालिनी यादव को लगभग 4.8 लाख वोटों से हराया था। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने 2019 का चुनाव गठबंधन में लड़ा था। एसपी और बीएसपी गठबंधन की संयुक्त उम्मीदवार शालिनी यादव को लगभग 1.9 लाख वोट मिले थे। कांग्रेस के अजय राय को लगभग 1.5 लाख वोट मिले। विपक्ष के वोटों की कुल संख्या लगभग 3.4 लाख थी। संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार को 3.4 लाख वोट मिलते, जिससे जीत का अंतर 3.3 लाख हो जाता।”
निर्वाचन क्षेत्र की संरचना
वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट, रोहनिया और सेवापुरी वाराणसी लोकसभा सीट का गठन करते हैं। इन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में से, तीन निर्वाचन क्षेत्र, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट, और वाराणसी उत्तर शहरी क्षेत्र हैं। अन्य दो, रोहनिया और सेवापुरी, ग्रामीण परिवेश वाले हैं, और शहर की परिधि पर स्थित हैं।
वर्तमान में, २०२२ के विधान सभा नतीजों के अनुसार ,बीजेपी, अपना दल (सोनेलाल) के साथ गठबंधन में, जो अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाला पार्टी का धड़ा है, सभी विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2022 विधान सभा चुनाव का संकेत
2022 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। यदि आप इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मिले वोटों को जोड़ें, तो परिणाम निम्नलिखित थे:
चुनाव क्षेत्र | भाजपा | इंडिया |
रोहनिया | 118663 | 88976 |
सेवापुरी | 104913 | 85194 |
वाराणसी कैंट | 147833 | 84796 |
वाराणसी उत्तरी | 133833 | 96141 |
वाराणसी दक्षिणी | 99622 | 91066 |
कुल | 604864 | 446173 |
कुल वोटों में अंतर 1.58 लाख वोट है, जो 2024 के लोकसभा चुनावों के 1.52 लाख वोट के अंतर के करीब है।
मंदिर राजनीति का घटता असर
बीजेपी के समर्थक काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के विकास को नरेंद्र मोदी की मुख्य उपलब्धि के रूप में गिनाते हैं। विरोधी उनकी कार्यकाल में रोजगार में कोई वृद्धि नहीं होने को उनके कार्यकाल की असफलता के रूप में गिनाते हैं| मोदी और बीजेपी ने बड़े उद्योगों को इस ऐतिहासिक शहर में लाने का जो वादा किया था वो पूरा नहीं हुआ है |
2019 के मुकाबले, 2024 में 6% अधिक वोट डाले गए, लेकिन नरेंद्र मोदी को सभी पांच निर्वाचन क्षेत्रों में कम वोट मिले, जिसमें वाराणसी दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल है, जहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित है। उन्हें शहर के परिधि के दो निर्वाचन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोटों का नुकसान हुआ।
चुनाव क्षेत्र | 2019 | 2024 | % reduction |
रोहनिया | 145379 | 127508 | 12.3 |
सेवापुरी | 128000 | 108890 | 14.9 |
वाराणसी कैंट | 155813 | 145922 | 6.3 |
वाराणसी उत्तरी | 139279 | 131241 | 5.8 |
वाराणसी दक्षिणी | 104982 | 97878 | 6.8 |
स्थानीय संसद के तौर पर प्रधानमंत्री के १० साल के कार्यकाल के बाद वोटों में बढ़ोत्तरी के बजाय कमी आयी है। अगर वोट कोई कहानी कहते हैं तो इस कहानी में स्थानीय संसद के लिए लोगों के प्यार में कमी आयी है।
देश के प्रधानमंत्री के दस साल के कार्यकाल के बावजूद, स्थानीय सांसद ने जितने मतदाताओं को जोड़ा, उनसे अधिक मतदाताओं को खो दिया है। अगर मत कोई कहानी बताते हैं,तो वह यह है की लोगों का प्यार उनके लिए प्रत्यक्ष रूप से कम हुआ है । यह भावना चुनाव अवधी के दौरान आम जनता के द्वारा बार-बार व्यक्त की गई । वास्तव में, भाजपा के पास वाराणसी में एक मजबूत, पैसे से समृद्ध संघटन, और समर्पित कैडर है जिसने प्रधानमंत्री को भगवान् तुल्य बनाने का प्रयास किया था । हालांकि, मतदान की कहानी दिखाती है कितमाम प्रचार और महिमामंडन के बावजूद “अब की बार, दस लाख पार” अभियान जनता के उत्साह को बढ़ाने में असफल रहा।