क्यों बनायें नया संसद भवन ?
अक्टूबर 2019 (सन दो हज़ार उन्नीस) में केंद्र सरकार ने भवन-समूह के नवीनीकरण के लिए सेंट्रल विस्टा परियोजना की घोषणा की थी। 10(दस) दिसंबर 2020 (दो हज़ार बीस ) को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंट्रल विस्टा नामक एक नए संसद परियोजना का प्रतिष्ठान किया। उस दौर में देश कोविड के नियंत्रण में था। मौजूदा संसद भवन के सामने निर्मित होने वाले नए संसद भवन 65000 (पैंसठ हज़ार) स्क्वायर मीटर का होगा। आधिकारिक विवेचना यह है कि पुराने और नए संसद भवन एक ही भवन-समूह के रूप में कार्य करेंगे। अनुमानित लागत 20000 (बीस हज़ार) करोड़ रुपये है। सरकारी भूमि के रूप में 86 (छियासी) एकड़ सार्वजनिक भूमि पे काम पुन: इश्तिहार के साथ शुरू हुआ। इस बात की काफी वाद संवाद हुई है कि सरकार ने एकतरफा सार्वजनिक स्थान को आम लोगों की सलाह लिए बगैर लूट लिया गया है, यह स्थान जो शाम के समय या सैर करने में लोग इस्तमाल करते थे। संसद भवन से इंडिया गेट तक लगभग सभी भवनों को गिराकर या बदल कर योजना को लागू किया जा रहा है। दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सरकारी कार्यालयों के लिए एक केंद्रीय सचिवालय (यानी की central secretariat) स्थापित किया जाएगा। यह भी सवाल किया गया था कि एकमात्र पद्धति के रूप में नए प्रधान मंत्री भवन के निर्माण के लिए 13000 (तेरह हज़ार) करोड़ रुपये अलग रखे गए थे। शुरू से ही आलोचना हुई कि 2024 (सन दो हज़ार चौबीस) की परियोजना को पूरा करने की जल्दबाजी से कई तरह की पर्यावरणीय और सामाजिक समस्याएं पैदा होंगी और इतनी जल्दी में इतनी बड़ी परियोजना को लागू करना उचित नहीं होगा। कई भारतीय वास्तुकारों और सामाजिक वैज्ञानिकों ने 100 (एक सौ) साल से अधिक पुराने पारम्परिक इमारतों के तबाही का विरोध किया है। पर्यावरण के संरक्षको का आरोप है कि एक योजना के रूप में आवश्यक पर्यावरण परमिट के लिए आवेदन करने के बजाय कई इमारतों के लिए परमिट अल्प मार्ग से प्राप्त किया गया है। जो भी हो, हर हाल में दिल्ली दिल्ली की राजनीति और लोकतंत्र में बदलाव ज़रूर होगा.