सिद्दीक कप्पन: न्याय के लिए संघर्ष
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के तहत भारतीय मीडिया द्वारा झेले गए उत्पीड़न का प्रतीक हैं । दक्षिण भारतीय राज्य केरल के इस भारतीय पत्रकार को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया । अक्टूबर 2020 में जेल जाने के बाद उन्होंने एक विचाराधीन कैदी के रूप में दो साल से अधिक समय जेल में बिताया। पत्रकार को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह उन्नीस वर्षीय दलित महिला की कहानी पर रिपोर्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहा थे ।उस महिला की चार पुरुषों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद मृत्यु हो गई थी। कप्पन को फरवरी 2023 तक जेल में रखा गया था। दो साल से भी अधिक समय के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें दिसंबर 2022 में जमानत दे दी थी, लेकिन जेल अधिकारियों को आदेश को लागू करने में एक महीने से अधिक समय लग गया। तीस्ता सीतलवाड के साथ इस विस्तृत साक्षात्कार में, मानवाधिकार कार्यकर्ता और सबरंगइंडिया के संस्थापक-संपादक सिद्दीक कप्पन ने जेल में अपने जीवन और न्याय के लिए जारी लड़ाई के बारे में विस्तार से बात की। (यहां देखें वीडियो इंटरव्यू)
तीस्ता सीतलवाड़:-अठाईस महीने उत्तर प्रदेश की जेल में रहने का अनुभव और उनके ऊपर जो आरोप थे उसको लेकर उन्हें और उनके परिवार को किस तरह की बातों का सामना करना पड़ा इस पर बातचीत करने के लिए प्रसिद्ध पत्रकार और मानव अधिकार कार्यकर्त्ता हमारे साथ हैं । नमस्कार सर, कैसे हैं ?
सिद्दीक कप्पन:- नमस्कार।
तीस्ता सीतलवाड़:- आखिरकार फरवरी 2023 में आपको जेल से रिहा किया गया । इसके पहले कि मैं जेल के बारे में बात करू मुझे पूछना था कि उच्च न्यायलय द्वारा आपको ज़मानत देने और जेल से रिहाई मिलने में इतना समय क्यों लगा ?
सिद्दीक कप्पन:- देखो, सितम्बर 2021 में उच्च न्यायलय से मेरी ज़मानत का आदेश आ गया था । लेकिन हाई कोर्ट से बेल मिलने के बाद रिहाई मिलने में बहुत समय लगा।
तीस्ता सीतलवाड़:- मतलब, कोई आपका साथ देने के लिए तैयार नहीं था ।
सिद्दीक कप्पन:- मेरी पत्नी , भाई और कुछ लोग लोग मेरी ज़मानत के लिए आए लेकिन सेशंस कोर्ट ने शर्त रखी कि एक स्थानीय व्यक्ति ही चाहिए। मतलब, मुझे बेल मिलने के बाद भी जेल में बंद रखा गया ।
तीस्ता सीतलवाड़:- कितने महीने ?
सिद्दीक कप्पन:- सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर, दिसंबर, जनवरी ।
तीस्ता सीतलवाड़:- पांच महीने ?
सिद्दीक कप्पन:- पांच महीने के बाद 2 फरवरी को मैं जेल से बाहर आ पाया । मुझपर यूएपीए की दो धाराएं 17 और 18 लगाई गई । एक में विदेश से धन जुटाने का आरोप लगाया गया दूसरे में साजिश रचने का आरोप लगाया गया । इस में बेल मिलने के बाद मुझ पर केवल 5000 रूपए के मामले में पीएमएलए के अंतर्गत अवैध रूप से प्राप्त आय का केस लगाया गया ।
तीस्ता सेतलवाड़:- तो आपको लगता हैं कि आप वर्तमान सरकार की कानून को हथियार की तरह प्रयुक्त करने की नीति का शिकार बने।
सिद्दीक कप्पन:- यह लंबी प्रक्रिया ही मेरी सज़ा बन गई ।
तीस्ता सीतलवाड़:- मुझे लगता हैं कि रूप रेखा जी सबसे पहले आपकी मदद के लिए पहुँच गई ।
सिद्दीक कप्पन:- रूप रेखा वर्मा जी पहले आईं।उनके बाद मुस्लिम लोग भी मेरी मदद के लिए आ गए।
तीस्ता सीतलवाड़:- शायद डर बहुत था।
सिद्दीक कप्पन:- मैडम, बहुत डर था । जेल में एक सोशल एक्टिविस्ट थी । उसको डर नहीं लगता था । उसने बताया की वह एक छोटे गाँव की हैं ।
तीस्ता सीतलवाड़:- सिद्दीकी जी आपको हाथरस काण्ड की रिपोर्टिंग के मामले में अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया । आप जिस कहानी की रिपोर्ट तैयार करने के लिए गए उसका अनुभव बताइए। क्यों गए ? एक बात, दूसरी बात गिरफ़्तारी के बाद आपके ऊपर क्या इलज़ाम लगाए गए ? क्यों लगाए गए ? उसके बारे में कुछ बताइए ।
सिद्दीक कप्पन:- बहुत से लोगों ने मुझसे यह प्रश्न किया । वास्तव में यह सरकार की ओर से झूठा प्रचार था।
तीस्ता सीतलवाड़:- इसीलिए मैंने यह प्रश्न पूछा।
सिद्दीक कप्पन:- यह रिपोर्ट केरल से आई , यूपी से क्यों नहीं आई । मैं केरल से नहीं आया। मैं वर्ष 2013 से दिल्ली में काम करता था।
तीस्ता सीतलवाड़:- दिल्ली से तक़रीबन दो दर्जन पत्रकार हाथरस काण्ड को कवर करने के लिए गए थे । शमशान का एक पूरा वीडियो था जो दिल्ली की जानी – मानी एक महिला पत्रकार ने बनाया था । जिसको लेकर उनको बहुत कुछ सहना पड़ा उन्हें जेल नहीं हुई मगर दूसरी समस्याएं हुई । तो ये अफ़वाएं सरकार के द्वारा फैलाई गई ।
सिद्दीक कप्पन : दिल्ली मैं इसलिए आया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट, पार्लियामेंट, दिल्ली की महिलाओं के मुद्दे, कश्मीर का मुद्दा इन सब के विषय में बात करना मेरा काम था.
तीस्ता सीतलवाड़: आपने किस चैनल के लिए काम किया ?
सिद्दीक कप्पन:- मैंने दो – तीन न्यूजपेपर में काम किया। गिरफ़्तारी के समय मैं अधियामा में था । उससे पहले एक मलयालम न्यूजपेपर में प्रिंट मीडिया में काम करता था। मुझे फर्जी पत्रकार बताया गया । मेरे पास प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया का पहचान पत्र था और दिल्ली यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट का पहचान पत्र भो था। फिर भी कहा गया कि मैं फर्जी पत्रकार हूँ । मुझे फ्लो फण्ड का एजेंट भी बताया गया । अभी भी उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरी ज़मानत को चुनौती देने के लिए एक याचिका दाखिल की है । उस एफिडेविट में भी मेरे पहचान पत्र की फोटो कॉपी हैं। एक झूठा प्रचार किया गया कि मैं फ्लो फण्ड का एजेंट हूँ और दंगा फैलाने के लिए उधर गया। सीआरपीसी की धारा 151 , 106 और 116 ये तीन धाराएं लगाकर मुझे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया । फिर तीसरे दिन मेरे विरुद्ध यूएपीए का केस चला दिया । 6 महीने के बाद 151 , 107 , 116 ये तीनो सीआरपीसी धाराओं में मुझे बरी कर दिया गया लेकिन अभी तक मुझे चार्जशीट नहीं मिली।
तीस्ता सीतलवाड़:- ` अभी तक नहीं मिली ?
सिद्दीक कप्पन:- अभी तक नहीं मिली है ।
तीस्ता सीतलवाड़:- आपका जेल का अनुभव तो हमने पढ़ा हैं, बहुत ही भयानक था। आपको एक ख़ास तरह के दुश्मन की तरह रखा था, ऐसा मैंने सुना।
सिद्दीक कप्पन:- मुझे मथुरा जेल के अंदर के बैरक नंबर 14. में रखा । मैं शुगर का मरीज़ हूँ पर मेरा कोई इलाज नहीं किया गया । और आपको मालूम होगा केरला के लोगों को गाली के बारे में कुछ नहीं पता ।
तीस्ता सीतलवाड़:- अपमान?
सिद्दीक कप्पन:- अपमान , मानसिक उत्पीड़न । एक जेल में छोटे से बैरक में 100 से ज्यादा लोग थे । उस में खाने के लिए भी झगड़ा होता था । खाना भी सही से नहीं मिलता था। ऐसे हालात थे मथुरा जेल में।
तीस्ता सीतलवाड़:- आप वहां कितने दिन थे?
सिद्दीक कप्पन:- मैं एक साल दो महीने मथुरा जेल में था । एक साल दो महीने लखनऊ जेल में।
तीस्ता सेतलवाड़:- और किताब वगैरा मिलती थी?
सिद्दीक कप्पन:- किताब और पेन ये दोनों चीजों की वहां मनाही थी । लेकिन नशे का सब सामान मिलता था। लेकिन किताब और पेन ये दोनों नहीं मिलते थे ।
तीस्ता सीतलवाड़:- किसी को भी नहीं ? नहीसीतलवाड़:- किसी को भी नहीं ?
सिद्दीक कप्पन:- नहीं, समाचार पत्र भी नहीं मिलता था।
तीस्ता सीतलवाड़:- वहाँ पर लाइब्रेरी नहीं हैं?
सिद्दीक कप्पन:- लाइब्रेरी है , लाइब्रेरी के नाम पर कुछ किताबें हैं, जैसे बाजपेयी की जीवनी ।ऐसी किताबें वो दे देंगे आपको । मुझे उनसे कुछ मतलब नहीं था । न्यूज़पेपर भी नहीं मिला । वहां ‘ ‘ द हिन्दू ‘ न्युजज़पेपर की कीमत 500 रुपये महीना है ।
तीस्ता सीतलवाड़:- अभी आप जो जिंदगी जी रहे हैं केरला में, आपको अपने घर से रिपोर्टिंग करनी पड रही है। हर हफ्ते अपने शहर , उसके बाद पुलिस स्टेशन, उसके बाद लखनऊ जाना पड़ता हैं। तो पत्रकारिता के साथ आपका अभी क्या रिश्ता हैं? किस तरह आप काम करते हैं ? कर पाते हैं या नहीं ?
सिद्दीक कप्पन:- देखो अभी मेरे उपर दो केस हैं, एक यूएपीए केस है , एक ईडी का केस है । इन दोनों केस में हर 14 दिन में एक बार कोर्ट में पेश होना पड़ता हैं। ऐसी स्थिति में कौनसा मीडिया प्लेटफार्म मुझे जॉब देगा।
तीस्ता सीतलवाड़:- कानून के जो हाथ हैं वो बड़े लम्बे होते हैं पर कानून की कोई जवाबदेही नहीं है । आप किसी की व्यक्तिगत आजादी को इस तरह छीन लेते हैं, उसे जेल में डालते हैं। मगर उनको चार्जशीट की पूरी जानकारी नहीं देते तो वह मुकदमा किस तरह लड़े। सिद्दीकी कप्पन जी की गिरफ्तारी और उनके साथ किए गए बर्ताव पर काफ़ी सारे सवाल उठते हैं। आप कुछ और कहना चाहेंगे सर ।
सिद्दीक कप्पन:- देखो , अभी मैं एक ओपन जेल में हूँ , अभी मुझे मेरा केस लड़ना हैं। पूरी चार्जशीट नहीं मिली है अभी तक। और केस लड़ने के लिए पैसा चाहिए। वकील को देने के लिए पैसे नहीं हैं क्योंकि कोई काम नहीं हैं। तीन बच्चे हैं जो स्कूल में पढ़ते हैं, उनको भी पालना है। मेरा केस क्या हैं मुझे अभी तक ठीक से नहीं मालूम ।
तीस्ता सीतलवाड़:- आपके खिलाफ क्या आरोप हैं उसकी आपको पूरी जानकारी नहीं है?
सिद्दीक कप्पन:- वो नहीं मालूम। मुझे यकीन हैं कि यदि मेरा केस यूपी के किसी ट्रायल कोर्ट में चलेगा तो मुझे सजा मिलेगी । मतलब अभी मुझे एक और वकील को फीस देनी होगी । लखनऊ के एक वकील हैं ,शायद उनकी मदद मिल जाए। क्या कहते हैं?
तीस्ता सीतलवाड़:- प्रो-बोनो, निशुल्क सेवा
सिद्दीक कप्पन:- अदालत में मेरा केस चल रहा हैं। अभी मैं एक ओपन जेल में हूँ । अभी तक मुझे पूरी आज़ादी नहीं मिली हैं ।
तीस्ता सीतलवाड़:- सिद्दीक जी, हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं । हम उम्मीद करते हैं कि आपको जल्दी ही आपकी पत्रकारिता फिर से शुरू करने का मौका मिलेगा । बहुत बहुत शुक्रिया ।
सिद्दीक कप्पन:- धन्यवाद ।