यह लेख द टेलीग्राफ डेली के संपादक आर. राजगोपाल के सोशल मीडिया पोस्ट से लिया गया है।
तिरुवनंतपुरम अब एक मशहूर राजधानी है, यात्रा करना आसान है, खाने और घूमने के लिए कई जगहें हैं, और समुद्र भी बहुत दूर नहीं है। यह पहले ऐसा नहीं था; जब मैं छोटा था, सार्वजनिक परिवहन बहुत बेकार था और यह एक छोटा सा शहर था जहां रूढ़िवादिता जड़ें जमा चुकी थी। सार्वजनिक परिवहन में अब काफी सुधार हुआ है। जहां तक रूढ़िवादिता का सवाल है तो इसका अंदाजा हमें लोकसभा चुनाव के बाद मिलेगा। मेरे गृहनगर से जुड़ी कुछ सुखद यादों में से एक है मेरे पैतृक घर के बाहर एक आम का पेड़ जहां मैं छह या सात साल की उम्र में गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने गया था। कोई न कोई बहाना बना कर मैं 15 साल तक वहीं रहने में कामयाब रहा, जब तक कि मैं दिल्ली नहीं चला गया । मैंने वे 15 प्रारंभिक वर्ष अपनी दादी के साथ इस बड़े से घर में बिताए । घर दो लोगों के रहने के लिए बहुत बड़ा था। हालाँकि एक चचेरा भाई और मेरे चाचा कभी-कभार हमारे साथ आकर रहते थे। उस शून्य को एक विशाल आम के पेड़ ने भर दिया था जो घर से भी ऊँचा था और ऐसा लगता था मानो वह कोई संरक्षक देवदूत हो। खुशबूदार और रसीले फल वाला पेड़, जिसे कोट्टुकोणम कहा जाता है, जो मूल नाम कोट्टूरकोणम (एक स्थान) का अपभ्रंश है, आमतौर पर केवल केरल के दक्षिणी सिरे पर पाया जाता है, कोल्लम के उत्तर में नहीं।
हमारे पैतृक घर का नाम कुरक्कोट्टुकोणम है, शायद इसलिए कि परिसर की सबसे आकर्षक विशेषता एक विशालकाय पेड़ था। पेड़ मेरा निरंतर साथी बन गया; मैंने चढ़ना, गिरना, फिर से चढ़ना, इसकी खुरदरी शाखाओं पर खुद को संतुलित करना और कुछ चोटें लगने के बाद झपकी लेना सीखा और एक हिलती हुई शाखा से शिखर पर अपनी पहली सिगरेट पी ताकि मेरी दादी मुझे न देख सकें। उसी पेड़ पर मैंने पहली बार पूरी अंग्रेजी किताब (गन्स ऑफ नवारोन) पढ़ी थी। जब मैं पेड़ पर नहीं होता , तो भी यह मुझसे कभी दूर नहीं होता क्योंकि मैं इसे अपने बिस्तर से देख सकता था।
जब मैं कलकत्ता में था, वह पेड़ और हमारा पुश्तैनी घर उपयोग में न होने के कारण अनियमितताओं का शिकार हो गए। ऐसा कहा जा सकता है कि दोनों ही भीतर की सड़ांध के कारण नष्ट हो गए। इस लंबी-चौड़ी प्रस्तावना से यह स्पष्ट हो गया होगा कि उस पेड़ का मेरे लिए क्या महत्त्व है। मैं हमेशा सोचता था कि कोई भी किसी पेड़ से मुझसे अधिक निकटता का दावा नहीं कर सकता है – ऐसे राज्य में एक दुस्साहसिक धारणा जहां मैंगोस्टीन पेड़ और पलमायरा पाम हमेशा के लिए और कुछ महानतम लेखकों के साथ अटूट रूप से जुड़े हुए हैं। यह मेरा अंहकार था। मैंने एक यूट्यूब लिंक खोला जो मुझे फॉरवर्ड के रूप में प्राप्त हुआ था। ऐसा प्रतीत हुआ कि वीडियो किसी पेड़ के बारे में है। मुझे लगा कि नीरस होगा। लेकिन जब मैंने वीडियो देखा तो मैं भावुक हो गया, मेरा कंठ रुद्ध गया । मुझे यकीन है कि आप भी नीचे दिए गए वीडियो को ज़रूर देखेंगे । यह केवल 8 मिनट का है। अगर आप मलयालम नहीं समझते हैं तो भी आपको इसे जरूर देखना चाहिए। यह देखने योग्य है।
चूंकि मेरे ज्यादातर दोस्त मलयालम नहीं समझते हैं, इसलिए मैं कुछ वाक्यों में वीडिओ का सार बताने की कोशिश करूंगा । वीडियो की एंकर केए बीना हैं, जो लेखिका और पत्रकार हैं और कुछ मलयाली लोगों की दोस्त हैं, जिनका मैं सबसे अधिक सम्मान और प्रशंसा करता हूं। बीना एक नीरमाथलम पेड़ की कहानी बताती है। अंग्रेजी शब्द मलयालम शब्द, नीरमाथलम की सुगंध और सुंदरता को पकड़ नहीं पाते हैं।निस्संदेह, भारत में अंग्रेजी के सबसे प्रतिभाशाली लेखक माधविकुट्टी द्वारा लिखित एक किताब ‘ व्हेन द नीरमाथलम ब्लूम्ड ‘ के कारण नीरमाथलम मलयालम साहित्य में अविस्मरणीय बन गया है । गीतात्मक कुशलता के साथ, माधवीकुट्टी वर्णन करती है कि नीरमाथलम ने उसे क्या महसूस कराया। मैं दुस्साहसी हूं लेकिन इतना भी नहीं कि माधवीकुट्टी का अनुवाद कर सकूं। आपको अनुवाद की तलाश करनी होगी। जिस बात ने मुझे रुलाया और अपने आम के पेड़ की याद दिलाई, वह आश्चर्यजनक कहानी थी जिसे बीना ने वीडियो में बताया।
एक दशक पहले, 31 मई 2013 को, बीना और उसके दोस्तों, विशेषकर गीता नज़ीर ने, मेरे स्कूल के पास एक सड़क के किनारे नीरमाथलम का पौधा लगाया था। उस सड़क को अब मनवीयम बुलेवार्ड कहा जाता है – एक असाधारण स्थान, एक सांस्कृतिक गलियारा जहां लोग 24×7 मिल सकते हैं, बातचीत कर सकते हैं, संगीत की रचना कर सकते हैं या वहां बस कुछ भी नहीं कर सकते हैं, जो मैं इन दिनों ज्यादातर करता हूं। जब मैं छोटा था तो हमारे पास ऐसी कोई जगह नहीं थी। सबसे नजदीक सार्वजनिक पुस्तकालय था लेकिन आप पुस्तकालय में बात नहीं कर सकते। बीना और दोस्तों ने माधवीकुट्टी के सम्मान में , एक स्मारक के रूप में, तत्कालीन वन मंत्री और वर्तमान सीपीआई राज्य सचिव बिनॉय विश्वम द्वारा उपहार में दिया गया पौधा लगाया। आप वीडियो में छोटे से पौधे को देख सकते हैं।
कवयित्री और सौम्य उपचारिका सुगाथाकुमारी ने कुथट्टुकुलम मैरी को पौधा दिया, जो एक सच्ची क्रांतिकारी थीं, जिन्हें यह उपसर्ग उनके जन्मस्थान से नहीं बल्कि उस पुलिस स्टेशन के स्थान से मिला था जहां उन्हें अकथनीय यातनाओं का सामना करना पड़ा था। सीपीआई नेता बिनॉय विश्वम ने बाद में उनकी बेटी से शादी की। बीना और सहेलियाँ पौधे के लिए अपने घरों से पानी लाती थीं और, जैसे एक नवजात शिशु का पालन-पोषण किया जाता है और बड़ा किया जाता है, उसी तरह असंख्य माताओं ने इस पेड़ को पाला, इसके जन्मदिन मनाए और इसकी छाया के नीचे सार्थक कार्यक्रम आयोजित किए। अंततः और अप्रत्याशित रूप से, एक कृषि अधिकारी, जयदास, इस अभियान में शामिल हुए और तब से, पेड़ को बढ़ने के लिए वैज्ञानिक सहायता मिली। फिर 18 अप्रैल, 2018 को नीरमथलम पेड़ पर पहली बार फूल खिले।
तब से, सभी खिलने वाले मौसम, जो गर्मियों की शुरुआत करते हैं, समूह के लिए उत्सव मानाने वाले रहे हैं। ‘ ट्री ‘ ने पुस्तक विमोचन, विवाह समारोह, जन्मदिन और मल्लिका साराभाई द्वारा नृत्य गायन की मेजबानी की है। आप वीडियो में अभिनेता मधु को देख सकते हैं, जिन्होंने 1969 में सात हिंदुस्तानी से डेब्यू किया था और अब मलयालम सिनेमा के लिए एक जाने – माने अभिनेता हैं। लेकिन नीरमाथलम ने अपनी छाया के नीचे केवल एक मंच की पेशकश नहीं की इसने ‘जगह ‘ का मतलब ही बदल दिया।
स्थाई मुलाक़ात की इस जगह में पुरुषों का अघोषित दबदबा था , और महिलाओं से सूर्यास्त के बाद सार्वजनिक रूप से मिलने की या एक कप चाय पीने की उम्मीद भी नहीं की जाती थी । नीरमाथलम ने सब कुछ बदल दिया क्योंकि कई स्थानों से महिलाएं शाम को घूमने और विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए इसकी छाया में एकत्र हुईं। पेड़ निस्संदेह अगली पीढ़ी के लिए एक उपहार है।
एक जैविक स्मारक जो सभी लिंगों के लोगों को एक साथ लाता है, उन्हें लिखने, पढ़ने और चित्र बनाने, चर्चा करने, विश्लेषण करने और बहस करने के लिए जगह प्रदान करता है और इस धारणा को चुनौती देता है कि महिलाएं अपने घरों के बाहर समय क्यों नहीं बिता सकती हैं। अगर आप त्रिवेन्द्रम जाएँ तो इस पेड़ को अवश्य देखना चाहेंगे । एक दशक बाद, बीना और दोस्तों ने अपना सपना पूरा कर लिया है।
उनके द्वारा पूरे किए गए निस्वार्थ मिशन को समझने के लिए आपको त्रिवेन्द्रम में रहना होगा, एक ऐसा शहर जिससे मैं एक समय इसकी रूढ़िवादिता और क्षुद्रता के कारण नफरत करता था लेकिन अब मुझे इससे प्यार हो गया है। एक और कारण है कि वीडियो ने मुझे छू लिया, क्लिप में कई चेहरे हैं जो अविस्मरणीय हैं और जो मेरी पीढ़ी को चिह्नित करते हैं। गीता नज़ीर मेरे लिए गीताचेची (दीदी) हैं – एक पत्रकार जिन्होंने कोई आसान विकल्प नहीं चुना, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने और जीतने से पहले सार्वजनिक जीवन में 50 साल बिताए। गीताचेची के पिता एनई बलराम एक सच्चे कम्युनिस्ट संत थे, जिनके सदन में बोलने के लिए खड़े होने पर वाजपेयी सबको मौन रहने के लिए कहते थे। भारतीय राजनीति को अब बलराम सर की सबसे ज्यादा याद आती है। अगर वह आसपास होते, तो अपनी विद्वता और हिंदू धर्मग्रंथों के गहन ज्ञान से भगवा ठगों और उनके बिकाऊ समर्थकों को चुप करा देते। गीताचेची के भाई जॉय ने मुझे पढ़ने और सुनने के लिए बढ़िया सामग्री भेजकर मेरा उत्साह बनाए रखा है – स्थानीय मीडिया को प्रभावित करने वाली क्षुद्रता और लघुता से हटकर एक स्वागत योग्य बदलाव । विश्वम, बीना और गीताचेची उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो राजनीति का हिस्सा होने पर गर्व करती है। मेरे भाई के दोस्त गिरि की बहन कनकलता भी गिरोह का हिस्सा थी। वह एक युवा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पूर्वी जर्मनी गई थी और उसने एक शानदार किताब लिखी थी ( इसका नाम फ्रॉम त्रिवेन्द्रम टू बर्लिन और फ्रॉम बर्लिन टू त्रिवेन्द्रम था) जिसे मैंने तब पढ़ा था जब मैं स्कूल में था। मैं दिवंगत सीपीआई नेता कनम राजेंद्रन, पत्रकार बीआरपी भास्कर और वेंकटेश रामकृष्णन (एक मित्र और पूर्व सहयोगी), लेखिका पार्वती (जो मेरे मित्र और पूर्व सहयोगी एमजी राधाकृष्णन की बहन हैं) और लेखिका राधिका जो स्कूल जाने वाली बस में मेरे बचपन की सहयात्री थी को भी देख सकता हूं। राधिका ने उग्र और भ्रामक रूप से गंभीर दिखने वाले हमारे एक अन्य सहयात्री, साहित्य के अपार ज्ञानी पीके राजशेखरन से शादी की। अब मुझे एहसास हुआ है कि मैंने अब तक जितने भी लोगों के बारे में सुना है, उनमें वह सबसे खुशमिज़ाज व्यक्ति हैं। मैं कई अन्य लोगों का चेहरा भूल गया होऊंगा, लेकिन विमला मेनन का नहीं, जो इतनी दयालु थीं कि उन्होंने श्याम और यमुना के साथ-साथ मुझे भी अपना बेटा माना।
इतने सालों में मुझे नीरमाथलम पेड़ के बारे में पता नहीं था। पत्रकारिता और उससे जुड़ी समस्याओं में उलझे होने के कारण किसी ऐसे व्यक्ति जिसने मुझे प्रभावित किया था के निधन के समय ही मेरा त्रिवेन्द्रम जाना होता था। अन्यथा, श्याम की माँ और उसके तथा उसकी बहन के साथ उस पेड़ पर जाना एक यादगार स्मृति होती। मेरा मानना है कि जिन चीजों की यादों को हम सहेजकर रखते हैं वे जैविक होती हैं अर्थात वे किसी न किसी रूप में पुनः विकसित होती हैं और खिलकर हमारे जीवन को सुगंधित कर देती हैं। कृपया वीडियो अवश्य देखें।
അമേരിക്കയുടെ ഏറ്റവും മികച്ച പ്രസിഡൻറുമാരിൽ ഒരാളാകാനുള്ള ചരിത്രപരമായ അവസരമാണ് ട്രംപിന് വന്നുചേർന്നിരിക്കുന്നത്. ഈ അവസരം അദ്ദേഹം ഉപയോഗപ്പെടുത്തുമോ? ജൂണിൽ ട്രംപുമായി
മാദ്ധ്യമങ്ങളും ജുഡിഷ്യറിയും ഉള്പ്പടെ ജനാധിപത്യത്തിന്റെ സുപ്രധാന സ്തംഭങ്ങളെന്ന് അംഗീകരിക്കപ്പെട്ട നാല് സ്ഥാപനങ്ങളുടെയും വിശ്വാസ്യത പലകാരണങ്ങളാല് പലമട്ടില് ചോദ്യംചെയ്യപ്പെടുന്ന സമകാലിക സാഹചര്യത്തില്, ഇന്ത്യന്