एक शोर – शराबा सुनने पर पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड की खिड़की से बाहर दिखने वाले रास्ते पर नज़र पड़ी।
हां, जैसा कि मुर्दाघर के अंदर होता है ,उसके बाहर खड़े लोग उस धार्मिक- राजनीतिक हत्याकांड का पोस्टमार्टम कर रहे हैं।
मुर्दाघर के सामने हो रहे हंगामे और नारेबाज़ी में भीड़ शोक जलूस में बदल गई है।
अभी घर जाना ठीक नहीं है। अगर कोई आपात स्थिति आई तो सड़क पर फंस जाऊंगी— उपवास है ना —- और खाना भी तो नहीं खाना।
आज काम में अब तक चार सुगम प्रसव और दो सिजेरियन हो गए हैं।एक गर्भवती महिला डिलीवरी के करीब आ गई है ,शायद एक झोपड़ी बनाने की आवश्यकता आ सकती है।
” मैं निकल रही हूं डॉक्टर, बहुत बहुत धन्यवाद। मैंने सोचा आप सबसे मिल लूं और अलविदा कह दूं—– चलती हूं —- ” तीसरे बिस्तर पर लेटी यह जयश्री थी, जो आज ऑपरेशन के बाद रिहा हो रही है। प्यार से भरी बूंद उसकी आंखों मैं भर आई।उसने मेरा हाथ थाम लिया।
यह सब क्या है जयश्री—– ओ पी में जब भी आओगी तो सबसे मिल सकोगी।
रॉबिंसन रोड का चक्कर लगाकर आने की वजह से जुलूस की नाकाबंदी में नहीं फंसी।
ऊपर वाले घर में हो रही नवीनीकरण की आवाज से भी ऊंची आवाज़ में पिताजी ने टी वी पर समाचार रखे हुए हैं।
खून के बदले खून , विरोधी धर्म – राजनीतिक दल का एक और व्यक्ति दिन दहाड़े मारा गया है।
जिस बाजार की गलियों से मैं आती हूं, वहां की वीरांगी टी वी पर देखकर मन में एक डर और फिक्र सी बैठ गई —- यह मामला कहां तक खिंचेगा ???
एक वाट्सअप कॉल , पृथ्वी के दूसरे छोर से मेरे भाई का है।
सुन, पिताजी की तबीयत बिल्कुल ठीक नही है,क्या मैं आऊं दीदी —- पता नहीं अब छूटी मिलेगी कि नहीं।”
यहां की कहानी तो तू पूछ ही मत।कल हुई घटना के बदले में आज फिर से कोई मारा गया।क्या पता यह सब कब तक चलेगा —– वो भी उपवास के दौरान।
वह कॉल दूसरी कॉल आने से कट गई। अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर की कॉल है , मैडम , जो मरीज़ अभी आया है वह ग्रेड थ्री मेकोनियम है। बच्ची की दिल की धड़कन की गति धीमी है।”
सिजेरियन कार्यवाही के लिए जल्दी से तैयारी करो —– एनस्थीसिया के डॉक्टर को भी जल्दी बुलाइए —– मैं बस जल्दी पहुंच रही हूं —– “
भाई का फोन दुबारा आया ।” दीदी —– आज जिसकी मौत हुई है मैं उस व्यक्ति को अच्छी तरह जानता हूं।हमारे राजेश के पड़ोस में रहने वाले भैया हैं —- मेरी तो उससे बीच – बीच में फोन पर बात होती रहती थी। मैं उससे कैसे इस बारे में बात करूं? इन इंसानों को क्या हो गया है—– क्यों इस तरह सबकी शांति भंग करते हैं —– दीदी आप अस्पताल जाओ —– बाद में फोन करता हूं —-“।
राजेश मेरे भाई का दोस्त है। मुझे बचपन से दीदी बुलाने वाला ,मेरा मुंह बोला भाई।कल भी उसने मुझे विशु त्योहार की बधाई भेजी थी —-
टी वी चैनल पर खूब शोर शराबा चल रहा है। खबरों की बारिश हो रही है!!!
पालक्कड़ में हुई धार्मिक और राजनीतिक हत्या। अस्पताल के उस प्रांगण में जहां मौत हुई थी, संवाददाता माइक पकड़े बारिश में भीगते हुए कांपते कांपते दौड़ रहे हैं —-
कार में चढ़कर अपने सिर पर रखी टोपी ठीक करते हुए वह जल्दी से उतर गया और लेबर रूम में फोन किया ,” बहनजी,जरा अस्पताल का एंबुलेंस भेजिएगा।”
गाड़ी से जाते समय हम पुथुपल्ली नाम की गली से गुजरे । जब मैं आठवीं कक्षा में थी ,तब यहां बाबरी मस्जिद के विवाद के दौरान बहुत सांप्रदायिक संघर्ष हुआ था —– साइकिल की जंजीर हाथ में लिए और गड्डियों को जलाकर राख करने वाले यहां घूम रहे थे।
[भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हवा में गोली चलाई ,और उस दिन इन सबसे बेखबर ,अपने घर के पिछवाड़े में खेल रहा सिराजुनिसा, मारा गया।
मैं ड्राइवर और एनस्थीसिया डॉक्टर के साथ कार में बैठी मेरी ब्लैक एंड व्हाइट पुरानी कहानियां सुनाती गई —-
केवल पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में खाली सड़क की वजह से में अस्पताल जल्दी पहुंच गई।
एनस्थीसिया डॉक्टर और मैं ऑपरेशन थिएटर की ओर भागे । बाहर मौजूद गर्भवती महिला की मां ने एक सांस में सूचना दी कि बच्चे की ह्रदय गति धीमी है और उसे तुरंत ऑपरेशन की आवश्यकता है।
बच्चों के डॉक्टर भी ऑपरेशन थिएटर पहुंच गए ।
उपवास तोड़ने का समय भी याद नहीं रहा ——
बच्चे को तुरंत ले जाया गया। जैसे ही बच्चे के फेफड़ों में बंद स्याही का सक्शन किया गया ,वह जोर जोर से रोने लगा —- “वाह ” —-
अब जाकर सभी की सांस में सांस आई।
फिर मैंने शांति से गर्भ को सिलते हुए चंद्रिका सिस्टर से बात की ।
” वह अस्पताल की गाड़ी में आया था क्योंकि उसे डर था कि अपनी गाड़ी चलाकर आएगा तो अस्पताल जिंदा पहुंचेगा भी या नहीं । यह किस्सा कहां तक जाएगा—- है ना—-“
“मुझे भी मैडम —- बिंदी लगाकर स्कूटर पर आते वक्त बहुत डर लग रहा था । लोगों की तो सारी अकल खराब हो गई है ।”
मैं एक मुसलमान हूं क्योंकि मैं एक मुसलमान परिवार में पैदा हुई थी। चंद्रिका सिस्टर आप तो हिंदू परिवार में पैदा हुई हैं , ना —- डॉक्टर जोन्स भी ईसाई हैं इसी वजह से ना —- तो यह बिल्कुल बकवास है—-“
सर्जरी खत्म करके निकलते ही देखा तो उपवास तोड़ने के समय से आधा घंटा की देर हो गई थी ।
ऑपरेशन थिएटर के कर्मचारी बिलसिथ भैया नीचे वाली चाय की दुकान से चाय लेकर आ गए हैं। मैंने चाय पी और अपना उपवास तोड़ा । जब चाय के पैसे दिए तो भैया ने यह कहकर स्वीकार नहीं किए कि” नहीं चाहिए मैडम —-“
जन्म और मृत्यु को आमने – सामने देखने वाले हम लोगों ने तो धर्म की दीवारो को कब से तोड़ दिया है।
ऑपरेशन थिएटर के बरामदे के किनारे पर खड़े व्यक्ति को सिस्टर बच्चे को सौंप रही है।
मुझे पता है कि तुम इतनी जोर से क्यों रो रहे हो , भले ही तुम मौत से बच गए हो।
मां की कोख से बाहर आकर , एक हाथ से तुम्हें सौंपने से लेकर, अब से तुम ‘मानवता को पीछे छोड़चुकी मानव जाति’ के सदस्य बन चुके हो ।
अब से तुम्हारी सोच, भविष्य और बुद्धि तुम्हारे आधार कार्ड में लिखे धर्म – कोडित नाम से जुड़ जायेगी —-
गर्भाशय के शांतिपूर्ण वातावरण से मनुष्य बनकर पैदा हुए ,तेरा नाम तो केवल मनुष्य होना चाहिए था —- तेरी भी यह इच्छा हो रही है क्या ?
कम से कम तू तो , विशु की समृद्धि, रमजान का सब्र और ईस्टर की आशा बने ,क्या मैं ऐसी प्रार्थना कर सकती हूं —–