A Unique Multilingual Media Platform

The AIDEM

Articles Economy Law National Politics

एसबीआई: विवादों के घेरे में

  • March 11, 2024
  • 1 min read
एसबीआई: विवादों के घेरे में

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पिछले कुछ महीनों में लगातार खबरों की सुर्खियों में रहा है। और हर बार यह गलत कारणों से हुआ है। “गलत कारणों से सुर्खियों में आना” की इस श्रृंखला में एक प्रमुख उदाहरण गोल्ड्समैन सॅक्स द्वारा एसबीआई की रेटिंग को कम करना था। इससे पहले गरीबी और बेरोजगारी में भारी कमी आने की बात कहकर सरकार का बचाव करने पर मशहूर अर्थशास्त्रियों ने इकोनॉमिक रिसर्च विंग पर सवाल उठाए थे। लगभग उसी समय, एसबीआई ने अडानी समूह को 34000 करोड़ रुपये रुपये का नया ऋण दिया था। इस कार्रवाई  की अनैतिक प्रकृति पर भी व्यापक रूप से सवाल उठाए गए और आलोचना की गई।

ऐतिहासिक रूप से, देश के सबसे बड़े बैंक ने लोगों का विश्वास अर्जित किया था। इसीलिए बैंक में 48 करोड़ खाते हैं. लेकिन चुनावी बांड के खरीददारों और उन्हें भुनाने वाले दलों की सूची प्रदान करने के लिए 30 जून तक का समय देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एसबीआई की वर्तमान अपील ने हाल के दिनों में एसबीआई की खराब छवि को और खराब कर दिया है। डिजिटल युग में,  टेक्नोलॉजी में अग्रणी बैंक,  कह रहा है कि वह लेन-देन का मिलान कर सूची उपलब्ध नहीं करा सका. वो भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 18 दिन बाद । यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

वर्तमान स्थिति में  स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उठता है कि बैंक क्या छिपा रहा है और किसे बचा रहा है? इससे जुड़े अन्य प्रश्न जो सामने आए हैं वे इस प्रकार हैं :  एसबीआई को यह रुख अपनाने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? कौन डरता है और क्यों? एसबीआई चेयरमैन ने क्यों लिया यह फैसला? क्या वह ख़तरे में है या यह किसी पेशकश के कारण है? पहले से ही कुछ लोग कह रहे हैं कि एक प्रभावशाली कारोबारी की वजह से उन्हें सेवा विस्तार मिला है। उन्हें बैंक की परवाह करनी चाहिए न कि किसी बिजनेसमैन या राजनेता की। इतिहास को उन्हें अच्छी बातों के लिए याद रखना चाहिए, ग़लत बातों के लिए नहीं।

एसबीआई के खिलाफ राजनीतिक पार्टियां पहले ही आंदोलन छेड़ चुकी हैं. इससे इस प्रतिष्ठित बैंक की छवि पर असर पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया है. सरकार की एजेंसियों द्वारा इन कंपनियों के खिलाफ छापेमारी या जांच के बाद कई  प्रसारण चैनल्स ने शोध करके चुनावी बांड के माध्यम से दान देने वाली कंपनियों की सूची प्रकाशित की। (संदर्भ न्यूज़ लॉन्ड्री रिपोर्ट )

वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के निदेशक (बजट विभाग )  को दिनांक 25/06/2018 को लिखे एक पत्र में एसबीआई ने कहा है कि चुनावी बांड के लिए आईटी प्रणाली विकास के लिए उसने 60,43,005/- रु खर्च किए हैं । अब, बैंक का यह कहना कैसे उचित है कि रिकॉर्ड उपलब्ध कराने में अधिक समय लगेगा? यदि यही स्थिति है तो अधिग्रहीत नए युग की आईटी प्रणालियों का क्या उपयोग है?

श्री. संजीव बी एझावा को एक आरटीआई के जवाब में दिनांक 22. 11.23, एसबीआई ने केवल 6 दिनों में 6 वर्षों के लिए चुनावी बांड का विवरण प्रदान किया है। अब इसमें महीनों की आवश्यकता क्यों है? (पत्र संलग्न)। हैरानी की बात है कि ‘फ्यूचर गेमिंग’ नाम की कंपनी ने इलेक्टोरल ट्रस्ट योजना 2013 के तहत सीबीडीटी द्वारा अनुमोदित ट्रस्ट “प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट”  को 100 करोड़ रुपये  का दान दिया है (पत्र संलग्न)। क्या यह ट्रस्ट राजनीतिक दलों, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और अवैध लेनदेन करने वाली कंपनियों के बीच दलाल की भूमिका निभा रहा है ? उत्तर सूची में होगा. सुप्रीम कोर्ट को एसबीआई से तुरंत सूची उपलब्ध कराने को कहना चाहिए। एसबीआई को गंभीर आत्ममंथन करना चाहिए । गलत निर्णयों पर सवाल उठाने के लिए बैंक में अधिकारी निदेशक और कर्मचारी निदेशक के पद होने चाहिए। साख का गिरना आसान है ,  दोबारा हासिल करना कठिन है ।एसबीआई के शीर्ष अधिकारियों को यह प्रसिद्ध कहावत याद रखनी चाहिए।

About Author

थॉमस फ्रैंको राजेंद्र देव

पूर्व महासचिव, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन, संयुक्त संयोजक, पीपल फर्स्ट।

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x